देश के सरकारी न्यूज़ चैनल डीडी न्यूज़ के रंग में परिवर्तन कर दिया गया है,और इसी के साथ वह पुराने लाल रंग की जगह अब आधिकारिक तौर पर नारंगी रंग का हो गया है। डीडी न्यूज के इस नए अवतार के साथ ही देश मे कई बड़े राजनेताओं व राजनैतिक पार्टियों के बीच सरकारी चैनल का कथित तौर पर 'भगवाकरण' किये जाने को लेकर बहस छिड़ गई है।
डीडी न्यूज़ द्वारा अपने इस नए अवतार की ट्विटर पर पुष्टि करते हुए अपने नए अवतार किन्तु वही पुरानी साख व मूल्य के साथ वापिस आने की बात कही है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि उनके द्वारा नए न्यूज़ रूम व नए तरीके से खबरों के प्रसारण पर जोर दिया जाएगा, उनका पूरा ध्यान खबरों की सत्यता, उसकी प्रमाणिकता पर रहेगा न कि सनसनी पर। वहीं डीडी के इस नए लोगो के अनावरण पर प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार ने प्रसार भारती के इस नए अवतार को 'भगवाकरण' बताते हुए चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि मैं इसके भगवाकरण को चिंता और अनुभव के साथ देख रहा हूं - यह अब प्रसार भारती नहीं है, यह प्रचार (प्रचार) भारती है। उन्होंने यह भी कहा है कि चुनाव के समय मे सरकारी चैनल का भगवाकरण करना आचार संहिता का उल्लंघन है और यह चैनल टैक्स देने वाले लोगो के पैसों से चलता है,उसे इन सब चीज़ों से दूर रखना चाहिए।
इसके विपरीत, द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक साक्षात्कार में, प्रसार भारती के सीईओ गौरव द्विवेदी ने कहा कि दूरदर्शन का यह निर्णय चैनल की ब्रांडिंग और दृश्य सौंदर्य पर आधारित था।द्विवेदी ने इस बात पर जोर दिया कि चैनल के समग्र स्वरूप और अनुभव को बेहतर बनाने के लिए नया, चमकीला रंग चुना गया था। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि लोगो परिवर्तन एक व्यापक उन्नयन का हिस्सा था, जिसमें प्रकाश व्यवस्था और उपकरणों में सुधार शामिल था। यह कदम बदलते मीडिया परिदृश्य में आधुनिकीकरण और प्रासंगिक बने रहने के दूरदर्शन के प्रयासों को दर्शाता है। वहीं ममता बनर्जी द्वारा भी दूरदर्शन के नए अवतार पर चिंता व्यक्त की है।
साल 1959 में शुरू हुए दूरदर्शन का प्रारंभ ब्लैक एंड वाइट न्यूज़ चैनल के रूप में हुआ था। वर्ष 1982 में ब्लैक एंड वाइट से जब दूरदर्शन को रंगीन में बदला गया तो उसका रंग नारंगी ही हुआ करता था जो वक़्त के साथ नीला,पीला व लाल किया गया,जिसे अब पुनः नारंगी रंग दिया गया है। कई लोगो द्वारा दूरदर्शन के इस नए अवतार को उसके पुराने अवतार में लौटने भर बताया है,व इसके 'भगवाकरण' जैसे शब्द को गलत बताया है।