बरसात का मौसम अभी ठीक से आया भी नही है, और अभी से भारत के विकास के पानी मे डूबने की तस्वीरे पूरे विश्व मे 'टॉप ट्रेंडिंग' बनी हुई है। खास तौर पर बिहार राज्य भारत के विकास की अन्तरर्राष्ट्रीय स्तर पर जो तस्वीरे छाई हुई है उससे सवाल उठने लगे है कि पूरे विश्व मे अकेले भारत मे ही बारिश आती है,जो इनका विकास एक बरसात भी नही झेल पा रहा है और पानी के साथ कुछ ही सेकण्ड्स में धराशायी होकर नदी नालों में बह जा रहा है। दिल्ली के तो कहने की क्या! जो दिल्ली अभी गर्मी में पानी-पानी की हाय तौबा मचा रहा था वहां आज सड़को पर पानी ही पानी है किंतु पानी को स्टोर करने के लिए दिल्ली सरकार व केंद्र के पास कोई आईडिया नही है। नतीजा दिल्ली में पानी संकट आज भी वैसा ही है। सड़कें स्विमिंग पूल बनी है,पानी मे डूबी बसें नाव की तरह दिख रही है, अंडरपास नदी व गदेरा बने हुए है। दिल्ली को पानी से निजात दिलाने के दावे करने वाली दिल्ली सरकार की जल मंत्री अतिश्री के घर के बाहर भी पानी भरा पड़ा हुआ है,किन्तु जल को कैसे रिस्टोर करे व कैसे भूजल में मिलाए उसके लिए केजरीवाल सरकार की तरफ से कोई प्लान सत्ता पर काबिज होने के बाद से अब तक सुनाई नही दे रहा है। और यही हाल केंद्र का भी है। माना दिल्ली सरकार के साथ 36 का आंकड़ा है,दोनो के इंटरेस्ट बीच मे आते है,किन्तु दिल्ली तो राजधानी है,विश्व पटल पर दिल्ली की जलमग्न की तस्वीरे नए भारत की क्या तस्वीर पेश कर रहा है यह सोचने की बात है। केंद्र चाहती तो अपने से दिल्ली सरकार को जल निकासी,जल बचाव के प्लान बता सकती थी,किन्तु नही।कुछ समय पहले तक दिल्ली को लंदन,वेनिस बनने की बात कही जा रही थी और दिल्ली को बाढ़ से उभारना फिलहाल दिल्ली सरकार के लिए मुश्किल हो रहा है।
आईजीआई, राजकोट के एयरपोर्ट को एक बारिश में ही भरभरा कर गिर गए जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का मखौल उड़ाया जा रहा है कि विकास की गारंटी ऐसी है कि 'इंद्र देव' ने कुछ बूंद क्या टपका दी, यहां तो विकास की पोल खुल गयी।
वहीं बिहार की अलग ही रेस चल रही है कि देश मे कोई ऐसा राज्य है जहां एक महीने में सबसे ज़्यादा पुल गिरे हो? दूर दूर तक सवाल ही नही होता कि बिहार को कोई पीछे छोड़ दे। 17 दिन में 11 पुल बरसात में बह गए तो सोचिए उस पुल में क्या माल लगा होगा कि वह इतनी बरसात तक नही झेल पाया। नीतीश सरकार ने आनन फानन में जिम्मेदार अधिकारियो को बर्खास्त कर दिया है,किन्तु जब निर्माण कार्य हो रहा था उस वक़्त निरीक्षण के लिए अधिकारी नदारद थे तो अब पीछे से पयादो को निलंबित करने से क्या उन भ्रष्ट अधिकारियों का जमावड़ा खुद खत्म हो गया। उनपर जांच का क्या? उनकी जिम्मेदारी कौन तय करने वाला है?
जिस अयोध्या में भगवान राम को घर लाने का डंका जोर शोर से पीटा जा रहा था उस अयोध्या में आज सड़को की नदी से हालत है। पैदल राहगीर घुटनो तक पानी मे डूब इधर उधर जा रहे है तो गाड़ियों की तो कहहिये ही मत।
बाकी देशभर की कहानी भी ऐसी ही है स्मार्ट सिटी के नाम पर देशभर में नई नई सड़कें, ड्रेनेज सिस्टम बना दिये गए है किंतु बरसात से पहले की ही बारिश ने सरकार की विकास परियोजना की पोल खोलकर उस वक़्त रख दी जब वाटर लॉगिंग की समस्या से घिरे अधिकांश राज्यो की सड़कों पर जगह जगह सड़कें धंस गयी है, गड्ढों में पानी भर गया है,नाले ओवरफ्लो करते हुए दिखाई दे रहे है।
भारत सरकार द्वारा गत वर्ष 2023-24 वित्तिय वर्ष में 20.18 लाख करोड़ टैक्स इकत्रित किया था,किन्तु समझ नही आ रहा जनता का वह पैसे कौनसे विकास में लगा है? अगर विकास ऐसा होता है जो बारिश आते ही धराशायी हो जाये तो किस काम का ऐसा विकास। अकेले दिल्ली ने ही 54,704 करोड़ का टैक्स गत वर्ष जमा किया और बिहार ने भी 38,161 करोड़ का टैक्स जनता से इकत्रित किया किन्तु दोनो राज्यो के हाल देख समझना मुश्किल है कि वह पैसा लग कहाँ रहा है, बरसात में न सड़कें दिख रही है न पुल न छत।